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चौ परतः पूर्वपदस्य दीर्घो भवति। चौ इति अञ्चतिर्लुप्तनकाराकारो गृह्यते। दधीचः पश्य। दधीचा। दधीचे। मधूचः पश्य। मधूचा। मधूचे। अन्तरङ्गो ऽपि यणादेशो दीर्घविधानसामर्थ्यान् न प्रवर्तते।
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338 लुप्ताकारनकारेऽञ्चतौ परे पूर्वस्याणो दीर्गः. प्राचः. प्राचा. प्राग्भ्याम्.. प्रत्यङ्. प्रत्यञ्चौ. प्रतीचः. प्रत्यग्भ्याम्.. उदङ्. उदञ्चौ..
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