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चाऽदयो निपातसंज्ञा भवन्ति, न चेत् सत्त्वे वर्तन्ते। प्रसज्यप्रतिषेधो ऽयम्। सत्त्वम् इति द्रव्यम् उच्यते। च। वा। ह। अह। एव। एवम्। नूनम्। शश्वत्। युगपत्। सूपत्। कूपत्। कुवित्। नेत्। चेत्। चण्। कच्चित्। यत्र। नह। हन्त। माकिम्। नकिम्। माङ्। माङो ङकारो विशेषणार्थः, माङि लुङ् 3-3-175 इति। इह न भवति, मा भवतु, म भविष्यति। नञ्। यावत्। तावत्। त्वा। त्वै। द्वै। रै। श्रौषट्। वौषट्। स्वाहा। वषट्। स्वधा। ओम्। किल। तथा। अथ। सु। स्म। अस्मि। अ। इ। उ। ऋ। ल्\उ0325। ए। ऐ। ओ। औ। अम्। तक्। उञ्। उकञ्। वेलायाम्। मात्रायाम्। यथा। यत्। यम्। तत्। किम्। पुरा। अद्धा। धिक्। हाहा। हे। है। प्याट्। पाट्। थाट्। अहो। उताहो। हो। तुम्। तथाहि। खलु। आम्। आहो। अथो। ननु। मन्ये। मिथ्या। असि। ब्रूहि। तु। नु। इति। इव। वत्। चन। बत। इह। शम्। कम्। अनुकम्। नहिकम्। हिकम्। सुकम्। सत्यम्। ऋतम्। श्रद्धा। इद्धा। मुधा। नो चेत्। न चेत्। नहि। जातु। कथम्। कुतः। कुत्र। अव। अनु। हाहौ। हैहा। ईहा। आहोस्वित्। छम्बट्। खम्। दिष्ट्या। पशु। वट्। सह। आनुषक्। अङ्ग। फट्। ताजक्। अये। अरे। चटु। बाट्। कुम्। खुम्। घुम्। हुम्। आईम्। शीम्। सीम्। वै। उपसर्गविभक्तिस्वरप्रतिरूपकाश्च निपाताः। उपसर्गप्रतिरूपकाः अवदत्तम् विदत्तं च प्रदतं च अदिकर्मणि। सुदत्तम् अनुदत्तं च निदत्तम् इति चेष्यते। अच उपसर्गात् तः 7-4-47 इति तत्वम् न भवति। दुर्नीतम्। दुर्नयः। दुर्निर्णयः। उपसर्गात् 8-4-14 इति णत्वं न भवति। असत्त्वे इति किम्? पशुर् वै पुरुषः। पशुः पुरोडशः निपातप्रदेशाः स्वराऽदिनिपतम् अव्ययम् 1-1-37 इत्येवम् आदयः।
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53 अद्रव्यार्थाश्चादयो निपाताः स्युः..
22 चादयोऽसत्त्वे। च आदिर्येषां ते चादयो गणपाठसिद्धाः। निपाता इत्यधिकृतम्। `सत्त्व'शब्देन द्रव्यमुच्यते। `द्रव्यासुव्यवसायेषु सत्त्वम्' इत्यमरः। लिङ्गसङ्ख्याकारकान्वितं द्रव्यम्। चाद्यर्थाः समुच्चयादयो यदा चादिभिर्गम्यन्ते, तदा लिङ्गद्यन्विता न भवन्ति, यदा समुच्चयादिशब्दगम्यास्तदा लिङ्गद्यन्विताः, शब्दस्वाभाव्यात्। न सत्त्वम् असत्त्वम् = अद्रव्यं। तत्र वाचकतया विद्यमानाश्चादयो निपातसंज्ञकाः स्युरित्यर्थः। तदाह–अद्रव्यार्था इति। असत्त्वे किम् ? छागः पशुः। चादौ पठितस्यापि पशुशब्दस्य अत्र द्रव्यवाचित्वान्न निपातत्वम्। इह तु स्यादेव-पुष्टं पशु मन्यते। इह पशु इति सम्यगर्थे।
21 चादयः। अद्रव्यार्थाः किम् ?, पशुः। लिङ्गसङ्ख्यान्वितं द्रव्यम्। इह तु स्यादेव-`लोधं नयन्ति पशु मन्यमानाः'। `पशु' इति सम्यगर्थे।